Translate

Friday, November 25, 2022

श्री माधवनाथ महाराज इंदौर

श्री माधवनाथ महाराज ( 1857-1936 ) कर्वी, चित्रकूट , मध्य प्रदेश के एक हिंदू संत थे , जिन्होंने भारत में प्रसिद्ध नवनाथों के नाथ संप्रदाय को जारी रखा ।

योगभयानंद श्री माधवनाथ महाराज का जन्म शक १७७९ चैत्र शुक्ल प्रतिपदा यानि गुरुवार २६ मार्च १८५७ को श्रीमती मथुराबाई के देशस्थ ब्राह्मण परिवार और श्री मल्हारदा रत्नापारखी ( कुलकर्णी ) में सिन्नार तालुका, जिला नासिक के एक गांव पांगारी में हुआ था । 

सिद्धि

श्री माधवनाथ महाराज ने बालाजी मंदिर में आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त किया जिसमें श्री की समाधि है। गुप्तानाथ। उसके बाद, श्री माधवनाथ महाराज जब तेरह वर्ष के थे, एक यात्रा पर चले गए जो उन्हें बद्री-केदार, रामेश्वरम , बारह ज्योतिर्लिंग और नव नाथ (नौ स्वामी) के समाधि स्थान पर ले गए। उन्होंने हिमालय में अगले छह वर्षों तक एकांत कठोर तपस्या का पालन किया और योगसिद्धि प्राप्त की। श्री माधवनाथ महाराज तब काशी, अमरकंटक, इंदौर, उज्जैन, ग्वालियर, खंडवा, चालीसगाँव, सप्तश्रृंगी और कई अन्य स्थानों पर गए जहाँ उन्होंने लोगों को आशीर्वाद दिया और उन्हें आध्यात्मिक जीवन जीने में मदद की। परिणामस्वरूप, एक विशाल शिष्य परम्परा की स्थापना हुई जो आज भी बढ़ती जा रही है। [2]

कार्य और सामाजिक प्रभाव


श्री माधवनाथ महाराज ने योग और नमस्कार के महत्व को पूरे भारत में फैलाया। उन्होंने अपने अनुयायियों को औरंगाबाद जिले के देवगांव के रंगारी में लक्ष्मी-वेंकटेश मंदिर बनाने का आशीर्वाद दिया । श्रीनाथ मंदिर तब जलगांव के थोरगवाहन में बनाया गया था । लक्ष्मीबाई हलवाई की मदद से श्री माधवनाथ महाराज ने पुणे के बुधवार पेठ में प्रसिद्ध दगडूशेठ हलवाई दत्ता मंदिर का निर्माण किया । इंदौर , त्र्यंबकेश्वर में नासिक , अकोला , नागपुर , वर्धा , हिंगणघाट, धार, शिराले, नंदगांव , काशी और अन्य स्थानों में कई मंदिर बनाए गए जिससे लोगों को आध्यात्मिक पथ प्राप्त करने में मदद मिली। [३]





https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=pfbid0yaqgqz277pm6XMN3qxEr45BZ9cpiw6EHm8Jq2WA9gH5dfXt2ooXWUAoom59hFsZ3l&id=100088437074684&mibextid=Nif5oz



https://youtu.be/9x8sCJwOTG0

https://www.facebook.com/365665020547164/posts/pfbid02j62jARR6AfE39kh5LxSMS1obzsi5GSJjcVDkp4FL2gLmcwyLx7DWyE9xVcnPfasKl/?mibextid=Nif5oz 





No comments:

Post a Comment